-अपराधियों के खिलाफ ऑपरेशन लगड़ा और ऑपरेशन क्लीन जारी
-बदमाशों में पुलिस की गोली का खौफ
लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ में कानून का राज स्थापित करने के लिए बदमाशों का शहर के सीमा में प्रवेश करने पर पूरी तरह से पाबंदी है।
यदि बदमाश गलती से सीमा में दाखिल हो भी जाते हैं तो उन्हें जेल की सलाखों के पीछे या फिर पुलिस की सरकारी गोली का सामना करना पड़ रहा है।
जिसका खामियाजा बदमाशों को अपाहिज होकर या फिर जान देकर चुकाना पड़ रहा है।

दरअसल राजधानी में पुलिस कमिश्नरेट प्रणाली 2020 से लागू हुई थी।
शुरुआत में पुलिस कमिश्नरेट ने अपराधियों पर नकेल कसने के लिए जिला बदर और ‘ऑपरेशन लंगड़ाÓ के तहत कार्रवाई का सिलसिला शुरू किया।
जिसके तहत पुलिस मुठभेड़ में ज्यादातर बदमाशों के पैर में गोली लगी और गिरफ्तार किये गये। हालांकि इस दौरान जवाबी फायरिंग में पुलिसकर्मी भी घायल हुए।
वहीं गत वर्ष फरवरी माह में विभूतिखंड थाना क्षेत्र के बहुचर्चित पूर्व ब्लाक प्रमुख अजीत सिंह हत्याकांड मामले में मुख्य आरोपी गिरधारी पुलिस हिरासत से भागने के दौरान मारा गया था।
पुलिस कमिश्नरेट ने गत माह गोमतीनगर थाना क्षेत्र में बंग्लादेशी डकैत को मार गिराया था जो कि ‘ऑपरेशन क्लीन की ओर इशारा कर रहा है।
अक्टूबर माह में दो बंग्लादेशी डकैतों के मुठभेड़ में पैर में गोली लगने से गिरफ्तार होना और एक डकैत के मारे जाने की घटना से बाद से बदमाशों में खौफ व्याप्त है।
एक माह के अन्दर 37 बदमाश जिला बदर
लखनऊ सीमा में दाखिल होना ही नहीं बल्कि शहर के अन्दर भी बदमाशों के रहने पर भी पुलिस कमिश्नरेट ने पूरी तरह पाबंदी लगा दी है।
लखनऊ को अपराध मुक्त रखने के लिए पुलिस दबंग प्रवृत्ति के बदमाशों के खिलाफ जिला बदर की कार्रवाई कर जिले के बाहर का रास्ता दिखा रही है।
इसी क्रम में पुलिस कमिश्नरेट ने अक्टूबर माह में 37 बदमाशों को छह-छह माह के लिए जिले के बाहर भेजा है। इनमें 4 अक्टूबर को 13,
7 अक्टूबर को दो, 18 अक्टूबर को चार, 21 अक्टूबर को छह, 25 को भूमाफिया समेत सात और 28 अक्टूबर को पांच बदमाश जिला बदर के तहत जनपद की सीमा से बाहर किये गये हैं।

20 दिनों में बंग्लादेशी डकैत समेत तीन बदमाश ढेर
लखनऊ समेत प्रदेश के अन्य जनपदों में डकैती की वारदात को अंजाम देने वाले बंग्लादेशी डकैत गिरोह के तीन सदस्यों को 11 अक्टूबर को चिनहट और गोमतीनगर पुलिस की संयुक्त टीम ने मल्हौर रेलवे स्टेशन के पास मुठभेड़ में गिरफ्तार किया था।
बदमाश रुबैल और आलम के पैर में गोली लगी थी और एक को दबोच लिया था। जबकि तीन साथी मौके से फरार हो गये थे। वहीं 18 अक्टूबर की रात गोमतीनगर इलाके में बंग्लादेशी गिरोह के डकैत हमजा को मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने ढेर कर दिया था।
हमजा पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था। गौरतलब है कि बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के रास्ते उत्तर प्रदेश पहुंचकर यह गैंग लूट और डकैती जैसी वारदातों को अंजाम देते हैं। यह गैंग रेलवे ट्रैक के किनारे बने घरों को निशाना बनाते हैं।

उधर 27 अक्टूबर कर देर शाम एसटीएफ ने पुराने लखनऊ में एक व्यापारी नेता की हत्या करने के लिए पहुंचे मुख्तार गैंग के दो शार्प अलीशेर व कामरान को मुठभेड़ में मार गिराया था।
मारे गये दोनों शूटरों पर छत्तीसगढ़ में भापजा नेता के हत्या का आरोप है।
यूपी पुलिस का ‘ऑपरेशन लंगड़ा और ‘ऑपरेशन क्लीन
मार्च 2017 के बाद यूपी में बीजेपी सत्ता में आई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जोरो टॉरलेंस की नीति के तहत पुलिस को काम करने की छूट दी।
जिसके तहत यूपी पुलिस का ‘ऑपरेशन लंगड़ा और ‘ऑपरेशन क्लीन सामने आया। जिसके तहत बदमाशों की धर पकड़ शुरू की गई। इस दौरान कई बदमाश की पुलिस की गोली से घायल हुए और कई मारे भी गए ।
हालांकि पुलिस के साथ मुठभेड़ों के दौरान कितने अपराधी विकलांग हुए इसका अधिकारियों के पास कोई आंकड़ा नहीं है।
पुलिस द्वारा जारी एक आंकड़े के मुताबिक 20 मार्च, 2017 से 10 अक्टूबर 2021 की अवधि में कुल 151 अपराधी मुठभेड़ में मारे गये एवं 3473 घायल हुए। वहीं 13 जवानों ने वीरगति प्राप्त की और 1198 पुलिस कर्मी घायल हुए।

क्या बोले जिम्मेदार…
संयुक्त पुलिस आयुक्त, मुख्यालय/ अपराध नीलाब्जा चौधरी ने बताया कि
जिला बदर की कार्रवाई से अपराधिक प्रवृत्ति में सुधार होने की संभावना रहती है। अपराधियों को मारना पुलिस का प्राथमिक मकसद नहीं है।
प्राथमिक उद्देश्य व्यक्ति को गिरफ्तार करना है। सरकार की अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। ड्यूटी पर रहते हुए,
अगर कोई हम पर गोली चलाता है, तो हम जवाबी कार्रवाई करते हैं और यह पुलिस को दी गई कानूनी शक्ति है।
इस प्रक्रिया के दौरान कुछ घायल हो जाते हैं तो तो कुछ की मौत हो जाती है। हमारे लोग भी मारे गए हैं और घायल हुए हैं।